10 मई 2021

कोरोना ने मदर्स-डे पर दो बच्चों से उनकी मां को छीन लिया

जगदलपुर। जहां एक तरफ रविवार को पूरी दुनिया मदर्स डे मनाया जा रहा है था, वहीं कई बच्चे अपनी मां की जान बचाने के लिए भागदौड़ कर रहे थे तो कुछ माएं अपने बच्चों की जान बचाने के लिए अस्पताल प्रशासन के सामने हाथ फैला रही थी। कुछ ऐसी ही कहानी आई है छत्तीसगढ़ से यहां मदर्स डे पर दो बच्चों के सिर से एक साथ माता- और पिता दोनों का छाया उठ गए। दोनों बच्चे माता-पिता की मौत से अनाथ हो गए। 

     
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दरअलस छत्तीसगढ़ में बस्तर जिले के बास्तानार ब्लाक के ग्राम पंचायत किलेपाल नंबर तीन में किराए के मकान में रहने वाले मूलत: रायगढ़ निवासी व बास्तानार हायर सेकंडरी स्कूल के प्राचार्य भागीरथी योगरे (39) की शनिवार की रात अस्पताल में कोरोना से निधन हो गया। वहीं उनकी पत्नी संतोषी योगरे (35) ने घर में दम तोड़ दिया। वे भी कोरोना से संक्रमित थीं। एक साथ माता-पिता की मौत होने से मदर्स-डे के दिन उनके बच्चे अनाथ हो गए। 

 बेटी के हाथ पीले होने से पहले पिता की मौत, घर से डोली जगह उठी अर्थी 

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र किलेपाल के चिकित्सक डॉ. देवप्रताप ने बताया कि बीते सोमवार को भागीरथी की कोरोना जांच हुई थी। लक्षण ज्यादा नहीं थे, इसलिए उन्हें होम आइसोलेशन पर रखा गया था। सात मई को उनका और संतोषी की आरटीपीसीआर जांच पॉजिटिव आई। भागीरथी को सांस लेने से तकलीफ होने पर सात मई को डिमरापाल मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। शनिवार रात 10 बजे वे कोविड सेंटर के बाथरूम में मृत हालत में मिले। रविवार सुबह किलेपाल नंबर तीन में भागीरथी के दोनों बच्चों पल्लवी (पांच वर्ष) और उमेश (दो वर्ष) ने पड़ोसियों को बताया कि उनकी मां उठ नहीं रही है। पड़ोसी ने जाकर देखा तो संतोषी की भी मौत हो गई थी।

हाथों की मेहंदी छूटने से पहले कोरोना ने छिन लिया सुहाग

बता दें कि कोरोना महामारी से छत्तीसगढ़ ही नहीं पूरा देश जूझ रहा है। देश में कोरोना महामारी का कहर तेजी से बढ़ रहा है। रोज संक्रमण की वजह से लोगों की मौत हो रही अस्पतालों में व्यवस्थाएं कम होने से संक्रमितों को घर में रखा जा रहा है, इसलिए कई लोग बिना इलाज के ही मर जा रहे है।  

डोली की जगह जब उठी अर्थी तो आंखों से बह उठा आंसूओं का सैलाब 

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