01 मई 2021

डोली की जगह जब उठी अर्थी तो आंखों से बह उठा आंसूओं का सैलाब

जौनपुर। जौनपुर के सतहरिया निवासी संतोष मोदनवाल ने अपनी बड़ी बेटी की शादी का सपना देखा था, लेकिन उसे नहीं पता था कि शादी के दिन ही बेटी की अर्थी को कंधा देना पड़ेगा। संतोष ने बड़े लाड-प्यार से बेटी को पाला था। उसे पढा लिखाकर सरकारी अध्यापक बना दिया था, लेकिन सरकार की मनमानी की वजह से चुनावी ड्यूटी के दौरान वह कोरोना संक्रमित हो गई थी। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। बेटी की मौत से उसकी शादी का सपना सजो रहे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पर पड़ा। 

https://rishtehainanmol.blogspot.com/2021/04/24.html

 प्रतीकात्मक चित्र


मालूम हो कि जौनपुर के मुंगराबादशाहपुर के गुड़हाई मोहल्ले की रहने वाली 25 वर्षीय ज्योति सरकारी शिक्षक थी, ज्योति को 30 अप्रैल को विवाह होना था, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से उसकी मौत हो गई।  वहां तीसरे चरण के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में उसकी डयूटी लगी थी। चुनाव ड्यूटी के दौरान वह संक्रमित हो गई। ड्यूटी  के बाद जब वह घर आई, उसकी तबीयत खराब होने लगी। उसने अस्पताल जाकर कोरोना की जांच कराई तो रिपोर्ट पाजिटिव आई। 

हाथों की मेहंदी छूटने से पहले कोरोना ने छिन लिया सुहाग

कोरोना संक्रमित होने के कारण मेरठ में ही उसका इलाज शुरू हुआ। इलाज के दौरान शुक्रवार को उसकी मौत हो गई। इसकी सूचना मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। उसका शव भी परिजनों को नहीं मिला। ज्योति दो बहनों में बड़ी थी। उसका एक भाई भी है। वही परिवार के भरण पोषण में एक सहारा बनी थी। उसकी शादी रीवा निवासी एक अध्यापक के साथ तय थी। शादी के दिन बेटी की मौत होने से उसके परिवार वालोंं का सपना टूट गया। उसकी मां की हसरत थी कि वह बेटी को लाल जोड़े में देखे,लेकिन भगवान को कुछ और मंजूर था, कि वह बेटी को अंतिम बार भी नहीं देख सकी। 

कोरोना की वजह से अपनों पर टूटे गमों के पहाड़ की यह कहानी जरूर  पढ़िएं 




कोई टिप्पणी नहीं: