25 अप्रैल 2021

मानवता का अंत: जहां काम करते हुए पूरा जीवन खपाया, मौत के बाद उन्हीं लोगों ने नहीं पहचाना

ग्वालियर। कोरोना ने अच्छे से अच्छे रिश्ते को खत्म कर दिया है। रिश्ते है अनमोल में इस कहानी का जिक्र इसलिए कर रहे है,क्योंकि यहां एक महिला ने अपना पूरा जीवन एक अस्पताल की सफाई और वहां के मरीजों की सुविधाओं में खपा दिया। अस्पताल में सभी उसे अच्छा कर्मचारी मानते हुए उसका सम्मान करते थे। महिला भी सभी कमरे को अच्छे से साफ सुथरा रखती थी। जब वह महिला इस महामारी ​की शिकर हुई तो उसके अस्पताल के उसके साथी तक उससे मुंह मोड़ लिया।


 न तो उसे डॉक्टर अस्तपाल में भर्ती करने को तैयार हुए किसी तरह भर्ती भी हुई तो उसकी जान नही बचा पाए, और रविवार को जब उसकी मौत हो गई तो अस्पताल के कर्मचारी उसका शव लाकर गैलरी में छोड़ गए, जबकि पड़ोसी शव को डेडहाउस में रखवाने की अपील करते रहे, लेकिन 6 घंटे तक उसका शव गैलरी में पड़ा रहा। जिसने भी यह नजारा देखा उसके मुंह से बरबस यही शब्द निकल रहे थे, कि इस दुनिया से मानवता के अंत की शुरूआत हो चुकी है। 

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 प्रतीकात्मक चित्र




आपकों बता दे कि ग्वालियर शहर के मुरार चिकित्सालय की कर्मचारी मंगला दो दिन पहले कोरोना से  संक्रमित हुईं। रविवार को उनकी मौत हो गई। पड़ोसी लगातार गुहार करते रहे कि उनके शव को डेड हाउस में रखवा दो। इसके बाद भी 6 घंटे तक शव लावारिसों की तरह पड़ा रहा। इसके बाद, शव वाहिका से महिला का शव डेड हाउस पहुंचाया गया। महिला का परिवार इंदौर में रहता है। फिलहाल उसका बेटा भी इंदौर में कोरोना संक्रमित होने के कारण अस्पताल में भर्ती है। 

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ग्वालियर के आदर्श नगर गली नंबर एक निवासी मंगला बुरारे स्वास्थ्य विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थीं।वह मुरार प्रसूति गृह में थी। पास में ही मुरार जिला अस्पताल है। अक्सर मंगला यहां आकर बैठती थीं। मंगला का परिवार इंदौर में रहता है। वह नौकरी के चलते ग्वालियर में रह रही थीं। दो दिन पहले रात को जब मंगला बीमार हुई, तो पड़ोसियों ने दरवाजा तोड़कर उन्हें बाहर निकाला और जिला अस्पताल लेकर पहुंचे।


पड़ोसी ने बताया कि अस्पताल के डॉक्टर उन्हें भर्ती करने के लिए तैयार नहीं थे। कलेक्टर समेत वरिष्ठ अधिकारी जब अस्पताल आए, तो महिला को भर्ती किया जा सका था। अगले दिन महिला की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई। रविवार सुबह 9 बजे मंगला की मौत हो गई। इसके बाद स्टाफ ने शव को स्ट्रेचर पर रखा और जिला अस्पताल की गैलरी में छोड़कर चले गए।


कोविड से मंगला की मौत क्या हुई, जिला अस्पताल के उसके वो साथी जो हमेशा उसके साथ रहते थे, उन्होंने मुंह मोड़ लिया। वह स्ट्रेचर पर मृत पड़ी थी। लोग देखते हुए निकल रहे थे। अफसर भी कुछ नहीं कर रहे थे। मृतका का एक बेटा है, वह भी इंदौर में कुछ दिन पहले कोरोना संक्रमित निकल चुका है। वहां वह कोविड हॉस्पिटल में भर्ती है, इसलिए वह मां के शव को लेने भी नहीं आ सकता।

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