अलीगढ़। एक मां के लिए इससे बड़ा दुख क्या होगा कि उसे अपने जवान बेटे को मुखाग्नि देनी पड़े। यह सीन देखकर पत्थर दिल कलेजे से भी आह निकल जाएगी, लेकिन कोरोना वायरस इतनी भयंकर तबाही मचा रहा है कि मरने वालों का अंतिम संस्कार करने में कलेजा दहल उठ रहा है। ऐसे ही एक हृदय विदारक घटना उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले से सामने आई है। इस खबर को लिखते हुए भी हाथ कांप रहा है, इससे उस मां के दुख का अंदाजा लगाना इतना आसान नहीं होगा, जिसने अपने कलेजे पर पत्थर रखकर अपने जवान बेटे को मुखाग्नि दी होगी।
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इस बेबस मां ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि वह अपने बेटे की अंतिम निशानी उसके चार साल के बेटे को कोरोना रूपी महामारी से बचाने के लिए श्मशान घाट तक नहीं जाने देना चाह रही थी, इसलिए खुद बेटे का अंतिम संस्कार करने श्माशान घाट गई। रिश्तेदारों के रोकने -टोकने पर महिला ने कहां मैंने अपने बेटे को जन्म दिया है तो उसकी अंतिम क्रिया मेरे रहते हुए भला दूसरा कैसे करें।
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मालूम हो कि सोमवार सुबह अलीगढ़ जिले में गिरधर मेडिकल स्टोर के संचालक अंकित गुप्ता की कोरोना संक्रमण की वजह से मौत हो गई थी। अब परिवार में अंकित की पत्नी, मां व दादी के अलावा चार साल का बेटा पीयूष ही बचा है। आपकों बता दें कि मृतक अंकित गुप्ता की 96 वर्षीय दादी और 55 वर्षीय मां दर्शन गुप्ता विधवा हैं। अंकित के निधन के बाद अब इनकी पत्नी नम्रता भी विधवा हो गई हैं। चार साल का बेटा पीयूष है। सोमवार को जब अंतिम संस्कार के लिए मुखाग्नि देने पर चर्चा हुई तो मां ने कहा कि पीयूष को घर से बाहर लेकर नहीं जाएंगे, क्योंकि कोरोना संक्रमण का बच्चों को अधिक खतरा है।
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इसके बाद मां ने अपने दिल पर पत्थर रखकर कहा कि मैं मुखाग्नि दूंगी। बेटे को जन्म दे सकती हूं तो मुखाग्नि भी दे सकती हूं। श्मशान स्थल पर जब दर्शन गुप्ता ने अपने बेटे को मुखाग्नि दी तो लोगों की आंखों से आंसू बहने लगे। घर के इकलौते बेटे की मौत के बाद घर में दुखों का पहाड़ टूट पड़ा पत्नी मां और वृद्ध दादी का ख्याल रखने वाला अब कोई नहीं बचा। चार साल के पीयूष की आंखों में पिता की मृत्यु का दुख साफ दिख रहा था। मां और दादी को रोता देखकर पीयूष भी रो पड़ रहा है।
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