16 मई 2021

विधवा बहू की जिंदगी में बहार लाने ससुर ने पिता बनकर रचाई उसकी शादी

वाराणसी। पश्चिम बंगाल दुर्गापुर की रहने वाली एक युवती की शादी वाराणसी के एक युवक से हुई थी। दुल्हन बनकर जब युवती ससुराल आई तो उसकी खुशियों का ठीकाना नहीं रहा। उसके सपनों के मुताबिक उसे सबकुछ मिला था।उसका जीवन हंसी खुशी से चल रहा था। इसी बीच उसकी खुशियों को ग्रहण लगा एक हादसे में उसके पति की मौत हो गई। रिश्ते है अनमोल में इस उसकी बसी बसाई दुनिया में आग लग गई। पति की मौत के बाद पत्नी उदास रहने लगी। यह देखकर युवती के ससुर से रहा नहीं गया। ससुर ने बहू का दुख दूर करने के लिए फिर से उसकी दुनिया में बहार लाने की सोची, इसलिए उसने विधवा बहू की शादी के लिए वर खोजा। अक्षय तृतीया के दिन जब बहू को बेटी बनाकर विदा किया तो वहां मौजूद सभी की आंखों में आंसू आ गए। रिश्ते है अनमोल में इस कहानी का विशेष रूप उल्लेख करते है। 

https://rishtehainanmol.blogspot.com/2021/05/blog-post_2.html

प्रतीकात्मक चित्र


जयमाल के लिए खड़े दूल्हे की स्टाइल से दुल्हन हुई नाराज,बिन ब्याहे लौटी बरात 


अक्षय तृतीया के दिन वाराणसी के रहने वाले लक्ष्मी प्रसाद ने बहू को जब विदा करने की सारी तैयारी की तो हर कोई उनकी प्रसंशा कर रहा था। ससुर ने पिता बनकर कपड़े समेत वह सारा सामान दिया जो एक बेटी को गृहस्थी बसाने के लिए जरूरी होती है।  मालूम हो कि लक्ष्मी प्रसाद सोनी ने अपने बेटे अनिकेत का विवाह 2013 में पश्चिम बंगाल निवासी दुर्गा प्रसाद सेठ की पुत्री मेनिका से की थी, लक्ष्मी प्रसाद का परिवार हंसी खुशी अपना जीवन बिता रहा था, कि इसी दौरान 2017 को सड़क हादसे में अनिकेत की दर्दनाक मौत हो गई। लक्ष्मी प्रसाद के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, लक्ष्मी प्रसाद को अब अपने से ज्यादा अपने विधवा बहू की चिंता सताने लगी उन्होंने ठान लिया कि में अपनी विधवा बहू की शादी तय करूंगा।

मजबूत रिश्ता: दूल्हे ने बिना बैंड बाजा बरात के पहुंचा शादी करने, बिना दहेज के घर लाया दुल्हनियां 

इसी बीच वाराणसी के भोलूपुर थाना के खोजवा निवासी अंचल सोनी को पता चला कि लक्ष्मी प्रसाद अपनी विधवा बहू की शादी कराना चाहते है तो अंचल ने आगे बढ़कर लक्षमी प्रसाद से बात की, दोनों पक्ष राजी हो गए। शादी की तारीख भी पक्की हो गई और अंततः अक्षय तृतीया के दिन वाराणसी के एक होटल में लक्ष्मी प्रसाद ने अपनी बहू की शादी धूमधाम से अंचल के साथ कर दी। एक ससुर द्वारा पिता बनकर बहू की शादी करना समाज के लिए एक मिशाल है। 

मागलिक दोष दूर करने के लिए शिक्षिका ने 13 साल के बच्चे के साथ किया विवाह का नाटक, विधवा भी बनी 

 

कोई टिप्पणी नहीं: