प्रतीकात्मक चित्र |
छतीसगढ़। छतीसगढ़ से एक दिल को रूलाने वाली खबर सामने आई है। यहां एक ही दिन तीन माताओं की गोद सुनी हो गई। उसके दोनों बेटे एक साथ इस दुनिया को अलविदा कह गए। इसके अलावा उनके दो दोस्तों की भी इसी हादसे में मौत हो गई।जैसे ही घर पर दो बेटों की मौत की खबर पहुंची घर में मातम पसर गया। मां बेसुध हो गई। पिता समेत परिवार के अन्य सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया।
दरअसल छतीसगढ़ के लखनपुरी में हुए हादसे एक हादसे में एक साथ तीन परिवारों की खुशियों की बलि चढ़ गई। बुधवार -गुरुवार रात हुए सड़क हादसे में दो सगे भाइयों की मौत ने माता-पिता को झकझोर कर रख दिया। मालूम हो कि दोनों भाईयों ने पिता को रोजगार देने व कमाई के लिए 15 दिन पहले ही कार खरीद कर दी थी। उसी कार ने पिता के बुढ़ापे का ही सहारा छीन लिया। हादसे में उनके दोनों बेटों की मौत हो गई। इस घटना से पूरे लखनपुरी में शोक की लहर दौड गई।
आपकों बता दे कि लखनपुरी निवासी इस्लाम अली उर्फ राजू खां एक निजी स्कूल में वाहन चलाते थे। उनके दो बेटों में बड़ा अहमद अली वेल्डिंग दुकान में काम करता था। छोटा रहमत अली ड्राइवरी करता था। तीनों मिलकर परिवार का खर्च चलाते थे।
लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद होने से राजू खां की नौकरी चली गई तो परिवार चलाने में मुश्किल होने लगी। तो दोनों बेटों ने अपनी जमापूंजी 60 हजार के अलावा बैंक से कर्ज लेकर 15 दिन पहले सेकेंड हैंड कार खरीदी थी। चाभी सौंपते बेटों ने पिता काे कहा था अब अपनी कार चलाओ, इससे कमाई भी बढ़ेगी।
अब आपको किसी दूसरे के यहां कार नौकरी करने की जरूरत नहीं पडेगी। बुजुर्ग पिता को नहीं पता था कि घर में खुशियां लेकर आने वाली कार ही उनके परिवार के गम का कारण बनेगी।
वहीं लखनपुरी निवासी प्रवीण सिन्हा पिता चंद्रशेखर सिन्हा रायपुर डीकेएस अस्पताल में एंबुलेंस चालक था। 31 मार्च की शाम ही रायपुर से लखनपुरी पहुंचा था जहां उसके दोस्त अहमद व रहमत मिल गए। इनके साथ अहमद का दोस्त संजू तिर्की पिता संजय निवासी सरगुजा भी था।
संजय भानुप्रतापपुर में पेशी में आया था जो वहां से आकर लखनपुरी रूक गया था। तीनों किसी काम से कार से धमतरी जा रहे थे। दोस्तों के कहने पर प्रवीण भी उनके साथ धमतरी चला गया। रात में वापस लौटने के दौरान हादसा हुआ।हादसे में चारों की मौत हो गई। एक साथ चार लोगों की मौत से पूरे क्षेत्र में गम का माहौल है। एक साथ तीन माताओं की गोद सुनी होने के साथ तीन घरों की खुशियां छिन गई।
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