21 अप्रैल 2021

बहुत गहरे जख्म दे रहा कोरोना: 6 बहनों का इकलौता भाई छीन लिया, मौत से लड़ रहे पिता

जबलपुर। कोरोना वायरस लोगों को बहुत गहरे जख्म दे रहा है। इस जख्म से उबरने में लोगों को कई साल लग जाएंगे, कुछ लोग ताउम्र इन जख्मों को याद रखेंगें । रिश्ते है अनमोल में एक ऐसी ही कहानी की चर्चा करेंगे। इस कहानी में एक युवक की मौत पर छ बहनों की खुशियां छिन्न गई। यह कहानी है मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर की यहां 6 बहनों के इकलौते भाई की कोरोना संक्रमण की वजह से मौत हो गई। 

प्रतीकात्मक चित्र


वहीं 32वर्षीय बेटे अर्पित दुबे की मोत से अनजान पिता​​​​ विक्टोरिया जिला अस्पताल में मौत से संघर्ष कर रहे हैं। अर्पित दुबे 6 बहनों के इकलौते सहारा थे, उनकी मोत से परिवार में गम के बादल छाए हुए है। सदर बाजार की की गली नंबर 16 में टेंट व्यवसायी राय परिवार में कोहराम मचा हुआ है। यहां एक सप्ताह के अंतराल पर दो भाइयों ने कोरोना से जान गंवा दी। कृष्णा कॉलोनी में भी एक ही परिवार के दो लोगों की मौत के बाद परिवार की चीखें सबकी आंखें नम कर दे रही हैं। मंगलवार को जबलपुर में ऐसे ही दर्द समेटे 79 लोगों की चिताएं जली।


जबलपुर के सूखा सूरतलाई निवासी अर्पित दुबे (32) सात बहन-भाई में सबसे छोटे थे। मल्टीनेशनल कंपनी का जॉब छोड़कर पांच महीने पहले पिता उमाशंकर दुबे के पास रहने के लिए आ गए थे। एक सप्ताह पहले पिता-पुत्र एक साथ कोरोना संक्रमित हुए। दोनों की हालत बिगड़ी तो विक्टोरिया अस्पताल में एक साथ भर्ती कराया गया। अर्पित की हालत गंभीर होने पर रैफर कर दिया गया था।


 मंगलवार सुबह अर्पित की मौत हो गई। जबकि पिता उमाशंकर दुबे विक्टोरिया में अभी भी इलाजरत हैं। अर्पित की मौत से परिवार में कोहराम मचा हुआ है। मां ने बेटियों के साथ मिलकर बेटे का स्वयंसेवी संस्था मोक्ष की मदद से अंतिम संस्कार कराया।इसी सदर गली नंबर 16 में मंगलवार को इसी तरह एक और दिल काे झकझोर देने वाली खबर ने लोगों को रूलाया यहां । 


टेंट व्यवसायी अखिलेश राय (42) और उनके बड़े भाई राजू राय (50) सहित परिवार के आठ लोग 20 दिन पहले संक्रमित हुए थे। दोनों भाई एक साथ व्यवसाय संभाल रहे थे। संयुक्त परिवार की खुशियों को किसी की नजर लग गई। बुजुर्ग मां के सामने एक सप्ताह पहले छोटे बेटे अखिलेश ने दम तोड़ दिया। वहीं मंगलवार को राजू राय की भी सांसें थम गईं। हालांकि परिवार के अन्य सदस्य अब कोरोना से ठीक हो चुके हैं। वहीं वृद्ध मां समेत परिवार के अन्य सदस्य इस जख्म को आजीवन नहीं भूला पाएंगे।




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